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हिंदी कहानियां - भाग 148

बोल दो


बोल दो   मीना आधी छुट्टी के बाद मोनू को ढूँढ रही है। “मोनू क्लास में बैठ के अकेले खाना खा रहा है।” मीना ने कहा। मोनू बोला, “मीना...मेरे सर में थोडा दर्द हो रहा था तो मैंने सोचा कि क्लास में बैठ के ही खाना खा लूँ। मीना, मोनू से खो-खो खेलने को कहती है लेकिन मोनू....मोनू तो मना कर देता है, “ मेरे पैर में दर्द हो रहा है इसीलिये मैं......हाँ वो दरअसल मेरी तबियत ठीक नहीं है। मीना उसे नर्स बहिन जी के पास जाने की सलाह देती है। और अगले दिन क्लास में...... “अरे! मोनू आज फिर से अकेला बैठा है। और बहिन जी की मेज पे रखे दीपू के ग्लोब को क्यों घूरे जा रहा है?” मीना सोचती है। मीना के अचानक आवाज देने से मोनू का हाथ घबराहट में ग्लोब से लग जाता है और ग्लोब गिर कर टूट जाता है। मीना- ‘.....वो उसे गोंद लगाकर जोड़ देगी।’ मोनू- नही मीना, ये गोंद से नही चिपकेगा। समझ में नही आ रह क्या करूं? मीना, मोनू की घबराहट का कारण जानना चाहती है। मोनू बताता है, ‘ क्लास के कुछ लड़के मुझे तंग करते हैं और मेरे मजाक उड़ाते हैं।....क्योंकि मैं खेल-कूद में उनकी तरह अच्छा नहीं हूँ। इसीलिये अब ना तो मैं किसी से बात करता हूँ और ना ही किसी के साथ खेलता हूँ। मीना- लेकिन मोनू ऐसे चुप रहना किसी समस्या का हल नहीं है......। मीना, मोनू को बहिन जी से बात करने की सलाह देती है लेकिन लड़कों के डर की वजह से मोनू मना कर देता है। मीना तरकीब सुझाती है, ‘तुम एक कागज पे सारी बात लिख दो, अपना नाम लिखे बिना फिर उसे बहिन जी के कमरे में जा के चुपचाप रख आओ।’ मीना के कहने पे मोनू ने सारी बात कागज पर लिखी और उसे चुपके से बहिन जी के कमरे में रख दिया। और फिर अगले दिन ...... बहिन जी- बच्चों....मुझे पता चला है कि हमारे स्कूल में कुछ बच्चे आजकल बहुत परेशान हैं क्योंकि उन्हें तंग किया जाता है, उनका मजाक उड़ाया जाता है। उनको डराया धमकाया जाता है।.....देखो बच्चों किसी को चिढाना,उसका मजाक बनाना,उसे धमकाना बहुत बुरी बात है.........मैं आशा करती हूँ कि आगे से ऐसा नही होगा। बहिन जी, बच्चों से इस तरह की शरारत रोकने को सुझाव मांगती हैं। मोनू कहता है, ‘इस प्रकार की शरारत करने वाले बच्चों को रोकना आसान काम नहीं है क्योंकि...अक्सर ये एक गुट में होते हैं और ....ताकतवर भी।’ मीना सुझाव देती है, ‘क्यों ना हम अपनी क्लास को चार गुटों में बाँट लें..हर गुट दूसरे गुट की गतिविधियों पर नज़र रखेगा। और कोशिश करेगा कि उसके सदस्य को कोई परेशान ना करे। “क्यों ना हम स्कूल में एक सुझाव पेटी रखें ताकि अगर किसी बच्चे को कोई परेशानी है और वो इस बारे में किसी से बात नहीं कर पा रहा है तो वो ....।” सुमी ने सुझाव दिया । और फिर आधी छुट्टी के समय जब मोनू और मीना मिड-डे खाना खाने जा रहे थे... बहिन जी- मोनू....तुमने बहुत अच्छा किया जो अपनी परेशानी लिखके मुझे बता दी। मोनू- बहिन जी आपको कैसे पता चला कि वो कागज....। बहिन जी- क्योंकि तुम्हारी लिखाई में पहचानती हूँ। मोनू सारी बात बहिन जी को बताता है। बहिन जी मीना को शाबाशी देती है। “एक मिनट में आया” कहता हुआ मोनू वहां से भागा। मोनू- ये देखिये बहिन जी ....ये कागज मैं सूचना पट पर लगाऊंगा।....इसपे लिखा है “खुशी बांटने से बढ़ती है और दुःख बांटने से कम हो जाता है।”

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